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संघ क्या है (RSS)

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               संघ क्या है (RSS)         संघ क्या है और इसकी कार्य करने की पद्धतीय क्या है यह एक विशाल विषय है आइये एक लघु प्रसंग से जानने का प्रयास करते है यह उस समय की बात है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक श्री बालासाहब देवरस ने अपने स्वास्थ्य कारणों से सरसंघचालक पद का त्याग कर, सरसंघचालक का दायित्व प्रो. रज्जू भैया को सौंप दिया था. इसी बीच उस समय के कम्युनिष्ट पत्रकार बिल्टिज साप्ताहिक के संम्पादक "रूसी करंजिया" "रज्जू भैया" से मिलने नागपुर पहुंचे. कुछ समय उनकी रज्जू भैया से चर्चा हुई. तभी भोजन की घंटी बज गई. रज्जू भैया ने रूसी करंजिया से कहा चलो पहले भोजन कर लेते हैं. भोजन कक्ष में बिछी हुई टाटपट्टी पर वे बैठ गए. कुछ अन्य लोग भी उनके साथ बैठ गए. अचानक "रूसी करंजिया" ने रज्जू भैया के बगल में बैठे व्यक्ति से उसका परिचय पूछ लिया.  उस व्यक्ति ने बताया कि - मैं माननीय रज्जू भैया का कार चालक हूँ. यह सुनते ही "रूसी करंजिया" चौक गए कि- इतने बड़े संगठन का मुखिया और उनका ड्राइवर एक साथ जमीन पर बैठकर एक जैसा भो...

सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति

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 सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति               भारत एक पंथ निरपेक्ष राष्ट्र है अधिकांश लोग इसे धर्मनिरपेक्ष कहते हैं | बकि  धर्मनिरपेक्ष तो कोई राष्ट्र, प्राणी या वस्तु हो ही नहीं सकता | धर्मनिरपेक्ष अर्थात धर्म विहीन तो हम हो ही नहीं सकते |  भारत की राष्ट्र शक्ति भारत के सभी संप्रदाय और पंथो  को निरपेक्ष दृष्टि से देखेगी, किसी के प्रति पक्षपात पूर्ण दृष्टि उसकी न होगी ,यही पंथ निरपेक्षता है |                सनातन धर्म एकमात्र धर्म है, जो संपूर्ण विश्व सृष्टि में समाया हुआ है | समय , परिस्थिति और स्थान  के अनुसार उसके जिस अंश को जिस कबीले या समुदाय ने महत्व दिया  वही उसका संप्रदाय या पंत बन गया |  ईश्वर एक है , इस धारणा को सभी मानते हैं |  जो नास्तिक कहते हैं कि हम ईश्वर को नहीं मानते | उनके नकार में भी ईश्वर का अस्तित्व तो विद्यमान है  ही | अतः सृष्टि संचालनकर्ता  कोई  अज्ञात शक्ति तो है ही जिसके रहने से सभी जीव सक्रिय है|        ...

‘चलो भाई चलो शाखा मे चलो’’ ( संघ गीत )

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  ‘‘चलो भाई चलो शाखा मे चलो’’ चलो भाई चलो..... शाखा मे चलो..... थोडी देर अब तुम सब काम भुलो चलो भाई चलो .....संग संग चलो.... आज के दिन ज़रा हंसो और खेलो ॥धु०॥ राम कृष्ण के वारिस हम गर्व से कहते हिन्दु हम भगवा ध्वज है पुज्य परम वन्दन उसे करो संग संग चलो ॥१॥ जीजा का मातृत्व हमे शौर्य लक्ष्मी का है तन मे मौसी जी कि आन हमे आगे बढो और संग संग चलो ॥२॥ छोटे छोटे बच्चे हम काम बडा करेंगे हम धर्म की रक्षा करेंगे हम कहेंगे वन्दे मातरम ॥३॥ शाखा में है रियल फन कबड्डि खो खो मे रम्ता मन करो योगा भुलो गम कदम मिलओ संग संग चलो ॥४॥ वीडियो देखने के लिए इस लिंक को क्लिक करे : https://youtu.be/4IcUgZAngz0

प्राणायाम किसे कहते हैउसे कैसे करना और क्या सावधानिया रखनी है और क्या लाभ है

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  प्राणायाम किसे कहते हैउसे कैसे करना और क्या सावधानिया रखनी है और क्या लाभ है  प्राणायाम = प्राण + आयाम इसका शाब्दिक अर्थ है प्राण (श्वसन) को लम्बा करना  या प्राण (जीवन शक्ति )को लम्बा करना (प्राणायाम का अर्थ श्वास को नियंत्रित करना या कम करना नहीं है )  यह प्राण शक्ति का प्रवाह कर व्यक्ति को जीवन  शक्ति प्रदान करता है 

योग क्या है ?

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योग क्या है ? योग  शरीर मन और आत्मा  को एक साथ लने का कार्य करता है योग हमारे शरीर के लिए उतना ही आवश्यक है जितना की भोजन व जल  योग की बात करे तो महर्षि पतंजलि बहोत बड़ा योगदान है ऐसा ध्यान में आता है महर्षि पतंजलि योग को चित्त की व्रतियों के निरोध के रूप में परिभाषित किया है जिसमे उन्होंने मनुष्य के पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक मानशिक और आत्मिक शुध्दि के लिए आठ अंगो वाला योगसूत्र का एक मार्ग विस्तार से बताया है अष्टांग योग (आठ अंगो वाला योग ) को आठ चरणों वाला मार्ग नहीं समझाना चाहिए यह आठ आयामों वाला मार्ग है जिसमे आठ आयामों का अभ्यास एक साथ किया जाता है  योग के कितने अंग है  ? योग के ये आठ अंग कौन से है ? क्या आप जानना चाहते है ?  यम  नियम आसान  प्राणायाम  प्रत्याहार धारणा  ध्यान  समाधि चलो इसे विस्तार में सभी अंगो के बारे में जानते है   यम -        यम के पांच सामाजिक नैतिकता  अहिंसा- शब्दों से ,विचारो से और अपने कर्मो से किसी को अकारण हानि नहीं पहुंचना  सत्य - अपने विचरो में सत्यता होनी चाहिए ...

दूसरों के मंगल में हमारा मंगल....

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  दूसरों के 💫मंगल में हमारा 💫मंगल.. .. जून का महीना था। भयंकर गर्मी पड़ रही थी। एक तीक्ष्ण बुद्धि- सम्पन्न, मिलनसार एवं व्यवहारकुशल पढ़े-लिखे ,युवक को खूब भटकने पर भी नौकरी नहीं मिल रही थी। तपती धूप में वह नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था। भटकते-भटकते वह एक ऐसे मैदान से गुजरा जहाँ अपने में मस्त, बड़ा निश्चिंत एक वृद्ध घसियारा प्रभु के भजन गाता हुआ घास काट रहा था। वह युवक उस घसियारे के समीप गया और बोला : "बाबा ! इस मामूली घास को बेचकर तुम अपने परिवार का निर्वाह कैसे करते होगे ?"  घसियारा थोड़ी देर चुप रहा और फिर मुस्कराते हुए बोला : “बेटा ! भले मैं निर्धन हूँ लेकिन बड़ी इच्छा नहीं पालता। जो मिलता है उसीमें संतोष कर लेता हूँ।"  "बाबा ! तुम्हें अपनी गरीबी का क्षोभ नहीं होता ?" "बेटा ! यदि मैं पढ़-लिखकर ऊँची आकांक्षाओं वाला व्यक्ति होता तो सम्भवतः क्षुब्ध ही रहता। तुम तो काफी पढ़े-लिखे लगते हो, फिर भला मैं तुम्हें क्या समझाऊँ ! हाँ, इतना अवश्य कहूँगा कि धन ही सब कुछ नहीं होता। संतोष धन से बढ़कर कोई धन नहीं है।"  वृद्ध घसियारा देखने में तो साधारण लगत...

नेत्रहीन संत !! प्रेरक प्रसंग !!

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 !! प्रेरक प्रसंग  !!  नेत्रहीन संत एक बार एक राजा अपने सहचरों के साथ शिकार खेलने जंगल में गया था। वहाँ शिकार के चक्कर में एक दूसरे से बिछड़ गये और एक दूसरे को खोजते हुये राजा एक नेत्रहीन संत की कुटिया में पहुँच कर अपने बिछड़े हुये साथियों के बारे में पूछा। नेत्र हीन संत ने कहा महाराज सबसे पहले आपके सिपाही गये हैं, बाद में आपके मंत्री गये, अब आप स्वयं पधारे हैं। इसी रास्ते से आप आगे जायें तो मुलाकात हो जायगी। संत के बताये हुये रास्ते में राजा ने घोड़ा दौड़ाया और जल्दी ही अपने सहयोगियों से जा मिला और नेत्रहीन संत के कथनानुसार ही एक दूसरे से आगे पीछे पहुंचे थे।   यह बात राजा के दिमाग में घर कर गयी कि नेत्रहीन संत को कैसे पता चला कि कौन किस ओहदे वाला जा रहा है। लौटते समय राजा अपने अनुचरों को साथ लेकर संत की कुटिया में पहुंच कर संत से प्रश्न किया कि आप नेत्रविहीन होते हुये कैसे जान गये कि कौन जा रहा है, कौन आ रहा है ? राजा की बात सुन कर नेत्रहीन संत ने कहा महाराज आदमी की हैसियत का ज्ञान नेत्रों से नहीं उसकी बातचीत से होती है। सबसे पहले जब आपके सिपाही मेरे पास से गुजरे तब ...

भारत के पवित्र चार धाम कहा है और उनकी विशेषताएं क्या है

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  भारत के पवित्र चार धाम कहा है और उनकी विशेषताएं क्या है 

प्रेरक प्रसंग: सब धन धूलि समान

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 प्रेरक प्रसंग : सब धन धूलि समान जयनगर के राजा कृष्ण देवराय  ने जब राजगुरु व्यासराय के मुख से संत पुरंदरदास के सादगी भरे जीवन और लोभ से मुक्त होने की प्रशंशा सुनी तो उन्होंने संत की परीक्षा लेने की ठानी |  |  एक दिन राजा ने सेवको द्वारा संत को बुलवाया और उनको भिक्षा में चावल डाले | संत प्रसन्न हो बोले ,महाराज ! मुझे इसी तरह कृतार्थ किया करे घर लौट कर पुरन्दरदास  ने प्रतिदिन की तरह भिक्षा की झोली पत्नी सरस्वती देवी के हाथ में दे दी | किन्तु जब वह चावल बीनने बैठी ,  तो देखा कि  उसमे छोटे - छोटे हीरे हैं | उन्होंने उसी क्षण पति से पूछा कहा से लाये है आज भिक्षा ?पति ने जब कहा की राजमहल से तो पत्नी ने घर के पास घूरे में वे हिरे फेक दिए |                                         अगले दिन जब  पुरन्दरदास भिक्षा लेने राजमहल गये , तो सम्राट को उनके मुख पर हीरो की आभा दिखी और उन्होंने फिर से झोली में चावल के साथ हिरे दाल दिए | ऐसा क्रम एक सप्ताह तक चलता रह...

बोध कथा (पांच मिनट)

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पाँच मिनट  एक व्यक्ति को रास्ते में यमराज मिल गये वो व्यक्ति उन्हें पहचान नहीं सका | यमराज ने पीने  के लिए व्यक्ति से पानी माँगा ,बिना एक  मिनट गवाये  उसने पानी लेकर यमराज को पीला दिया |   पानी पिने के बाद यमराज ने बताया की वह  उसके प्राण लेने आये है लेकिन चूँकि तुमने मेरी प्यास बुझाई है इसलिए मै  तुम्हे अपनी किस्मत बदलने का एक मौका देता हु | यह कहकर यमराज ने  एक डायरी उस व्यक्ति को दिया और उस व्यक्ति को कहा की तुम्हारे पास 5  मिनट का समय  है इसमें तुम जो भी लिखोगे वह इच्छा पूरी हो जायेगा लेकिन ध्यान रहे केवल 5  मिनट  उस व्यक्ति ने डायरी  खोलकर देखा तो उसने देखा की पहले पेज पर लिखा था कि उसके पड़ोसी  की लॉटरी निकलने वाली है और वह करोड़पति बनने  वाला है   इस बात को पढ़ने के बाद उस व्यक्ति ने उस पेज पर लिख दिया कि मेरे पड़ोसी  की लॉटरी  न निकले |  अगले पेज पर लिखा था कि  उसका एक दोस्त चुनाव जीतकर मंत्री बनने वाला है , तो उसने लिख दिया कि उसका वह दोस्त चुनाव हार  जा...