योग क्या है ?
योग शरीर मन और आत्मा को एक साथ लने का कार्य करता है योग हमारे शरीर के लिए उतना ही आवश्यक है जितना की भोजन व जल
योग की बात करे तो महर्षि पतंजलि बहोत बड़ा योगदान है ऐसा ध्यान में आता है महर्षि पतंजलि योग को चित्त की व्रतियों के निरोध के रूप में परिभाषित किया है जिसमे उन्होंने मनुष्य के पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक मानशिक और आत्मिक शुध्दि के लिए आठ अंगो वाला योगसूत्र का एक मार्ग विस्तार से बताया है
अष्टांग योग (आठ अंगो वाला योग ) को आठ चरणों वाला मार्ग नहीं समझाना चाहिए यह आठ आयामों वाला मार्ग है जिसमे आठ आयामों का अभ्यास एक साथ किया जाता है
योग के कितने अंग है ?
योग के ये आठ अंग कौन से है ? क्या आप जानना चाहते है ?
चलो इसे विस्तार में सभी अंगो के बारे में जानते है
- अहिंसा- शब्दों से ,विचारो से और अपने कर्मो से किसी को अकारण हानि नहीं पहुंचना
- सत्य - अपने विचरो में सत्यता होनी चाहिए ,जैसा विचार मन में है वैसा ही प्रामाणिक बाते वाणी से बोलना
- अस्तेय -चोर प्रवित्ति का न होना
- ब्रम्हचर्य - दो अर्थ है चेतना को ब्रह्मा के ज्ञान में स्तिर करना सभी इन्द्रिय जनित सुखो में सयंम बरतना
- अपरिगृह - आवश्यकता से अधिक संचय नहीं करना और दुसरो की वस्तुओ की इच्छा नहीं करना
- शौच - शरीर और मन की शुद्धि करना
- संतोष - संतुष्टि और प्रशन्न रहना
- तप - स्वाम से अनुशाषित रहना
- स्वाध्याय - स्वयं का आत्मचिंतन करना
- ईश्वर प्रणिधान -ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा होना
प्राणायाम प्राणायाम = प्राण + आयाम इसका शाब्दिक अर्थ है प्राण (श्वसन) को लम्बा करना या प्राण (जीवन शक्ति )को लम्बा करना (प्राणायाम का अर्थ श्वास को नियंत्रित करना या कम करना नहीं है ) यह प्राण शक्ति का प्रवाह कर व्यक्ति को जीवन शक्ति प्रदान करता है
प्रत्याहार प्रत्याहार से इन्द्रियों को अन्तःमुखी करना महर्षि पतंजलि के अनुसार जो इन्द्रिया चित्त को चंचल कर रही है इन्द्रियों को उन विषयो से हटाकर एकाग्रः हुए चित्त के सरूप का अनुकरण करना
प्रत्याहार है प्रत्याहार से इन्द्रिया बस में रहती है उनपर पूर्ण विजय प्राप्त हो जाती है
समाधि ध्यान की उच्च अवस्था को समाधि कहते है हिन्दू ,जैन बौद्ध तथा योगी आदि सभी धर्मो में इसका महत्व बताया गया है
जब साधक ध्येय वस्तु के ध्यान में पूरी तरह से डूब जाता है और उसे अपने अस्तित्व का ज्ञान नहीं रहता है
तो उसे समाधि कहा जाता है समाधि यह योग पद्धति की चरम अवस्था है
Good imformation
जवाब देंहटाएंThank you like it
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