क्या पुनर्जन्म होता है ?
पुनर्जन्म एक सुनिश्चित सत्य
पुनर्जन्म को लेकर लोगों में सदा से ही कौतुक- कुतूहल रहा है | कुछ लोग इसे चमत्कार मानते हैं, तो कुछ लोग इसे मिथ्या मानते हैं | विभिन्न शास्त्रों में पुनर्जन्म संबंधित अनेक आख्यान वह प्रमाण है, जो यह प्रमाणित करते हैं कि पुनर्जन्म न तो कोई चमत्कार है, ना ही कोई अंधविश्वास | जो पैदा हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है, पर मृत्यु जीवात्मा के आगे की यात्रा का अंत नहीं है| जीवन की अतृप्त वासनाओं कामनाएं , और कर्मफल ही उसके जन्म व पुनर्जन्म के कारण है| जब व्यक्ति की वासनाएं , कामनाएं, कर्मसंस्कार पूर्णत: नष्ट हो जाते हैं तभी जीवन -मरण वह पुनर्जन्म के चक्रव्यू से मुक्त हो पाता है| हाँ यह बात दीगर है कि किसी- किसी को अपने पुनर्जन्म की स्मृतियां नए जीवन में भी मानस पटल पर आती रहती है पर सबकी अपने पुनर्जन्म की यादों का स्मरण हो जाए , यह आवश्यक भी नहीं है|
पुनर्जन्म की ऐसी अनेक घटनाएं अक्सर कहीं ना कहीं घटती हुई दिखाई पड़ती है, या सुनाई पड़ती है| ऐसी ही एक घटना नासिक के 10 किलोमीटर उत्तर पूर्व के एक गांव में रहने वाले कमलनाथ की है| 5 वर्षीय मासूम कमलनाथ का कहना था कि उसके मौत के बाद फिर से जन्म लिया है| इतना ही नहीं , वह अपने पिछले जन्म के कातिलों को भी पहचानता है| अपने नए जीवन में भी अपने पुनर्जन्म को याद कर- करके कमलनाथ कभी-कभी बहुत ही उदास और परेशान हो जाया करता था | हजारों की आबादी वाले नासिक के उस गांव में ही मनोहर दास रहते थे| उन्हीं के पुत्र कमलनाथ की कहानी यह है| ऐसी कहानी जो उसे अक्सर अतीत में ले जाती थी, पूर्व जीवन में ले जाती थी | बच्चा होते हुए भी कमलनाथ का व्यवहार बच्चों जैसा नहीं था | बच्चों के साथ खेलते हुए भी कमलनाथ का चेहरा अचानक गंभीर हो जाया करता था | वह कुछ और भी याद करने का प्रयास करता और फिर परेशान हो जाया करता था | कमलनाथ 3 वर्ष की आयु में इतना साफ वह स्पस्ट बोलता था मानो वह कितना होशियार और समझदार हो | वह किसी भी बात को बड़ी शीघ्रता से समझ ले जाता था|
उस की विभिन्न गतिविधियों को देखकर अब उसके परिवार के लोग भी इस बात का एहसास हो गया था कि कमलनाथ ने कोई विशेष बात तो अवश्य है | कमलनाथ को अपनी उम्र के बच्चों के साथ ज्यादा खेलना या रहना पसंद नहीं था | आखिर एक दिन अपनी खामोशी तोड़ते हुए वह बोल पड़ा कि उसका नाम कमलनाथ नहीं, द्वारिका सिंह है | उसका अपना घर गांव में नहीं, नासिक शहर में है | यह सारी बातें कमलनाथ के परिवार के होश उड़ा रही थी | क्योंकि कमलनाथ तो कभी नासिक गया ही नहीं था | एक दिन अचानक यादों में खोए कमलनाथ ने अपने पिता को पिता और माता को मां मानने से इनकार कर दिया |
परिवार को लगता था कि कमलनाथ को कोई मानसिक समस्या है या फिर उस पर किसी भूत - प्रेत का साया है | कमलनाथ की झाड़-फूंक भी कराई गई टोने-टोटके भी कराए गए | ताबीज और भभूत का भी सहारा लिया गया लेकिन कुछ काम नहीं आया | 5 वर्ष का कमलनाथ बार - बार अपने माता-पिता वह अपनी पत्नी और बच्चों को याद करता रहा | 1 दिन अचानक कमलनाथ अपने बड़े भाई विनोद के साथ अपने बगीचे में घूम रहा था विनोद ने बगीचे से ढेर सारे फल तोड़कर इकट्ठे किए और कुछ फल कमलनाथ को खाने के लिए दिए पर कमलनाथ ने उन्हें खाने से इंकार कर दिया | और कहने लगा कि उन्हें मैं नहीं मेरे बच्चे प्रियांशु और प्रिया खाएंगे पता नहीं यह दोनों कैसे होंगे | उस दिन मैं उन दोनों को स्कूल छोड़कर नासिक स्थित अपनी दुकान लौट रहा था | कि तभी मोटरसाइकिल पर सवार दो लोगों ने एक सुनसान स्थान पर रोक कर मुझे गोली मार दी थी | मेरा सारा शरीर खून से लथपथ हो चुका था | कातिल वहां से फरार हो चुके थे | वहां लोगों की भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी मुझे किसी ने अस्पताल पहुंचाया, पर रास्ते में ही मैंने दम तोड़ दिया |
उसके बड़े भाई विनोद ने अपने पिता को कमलनाथ के द्वारा बताई गई सारी बातें बताई | मनोहर दास अंततः सच्चाई का पता लगाने के लिए कमलनाथ और उसके बड़े भाई विनोद को लेकर नाशिक पहुंचे | उसके बताने के अनुसार वहां सब्जी मंडी के पास की गली में स्थित एक दुकान पर वह पहुंच गए | यह वही दुकान थी, जिसका विवरण कमलनाथ के वर्णन से मेल खा रहा था | वे तीनों दुकान के पास पहुंचे | वहां पहुंचते ही कमलनाथ तेजी से उस दुकान की ओर दौड़ पड़ा और कहने लगा कि मेरी दुकान यही है | देखो उस दुकान पर मेरी पत्नी आभा बैठी हुई है|
आभा को देखते हुए कमलनाथ ने पूछा - " मेरे बच्चे प्रियांशु और प्रिया कहां है ? आभा तुम कैसी हो ? क्या तुमने मुझे नहीं पहचाना ? मैं तुम्हारा पति द्वारका हूं | जिसकी हत्या मोटरसाइकिल सवार दो लोगों ने कर दी थी | दोनों हेलमेट पहने थे, इसलिए मैं उनके चेहरे को ठीक से नहीं पहचान पाया पर संभवत वे दोनों लोग वे ही थे , जिनके साथ सिनेमा हॉल में टिकट लेते हुए मेरे झगड़ा व विवाद हुआ था | 5 वर्ष के कमलनाथ के मुख से यह सारी बातें सुनकर आभा भी हैरान थी |
आखिरकार मोहन दास ने सारी बातें आभा को बताई | आभा ने कहा - "आपके बालक कमलनाथ की सारी बातें सच है | कुछ ही वर्ष पूर्व मेरे पति की किसी ने हत्या कर दी थी | उस दिन वे अपने बच्चों प्रिया और प्रियांशी को छोड़ने विद्यालय गए थे कि रास्ते में लौटते हुए किसी ने उनकी हत्या कर दी थी | "अपने माता-पिता को कमलनाथ देखते ही पहचान गया वह उसने उन्हें प्रणाम किया वहां अब तक आसपास के लोग भी करते हो गए थे | अपने आसपास के सभी लोगों के नाम व घर के बारे में कमलनाथ ने सच - सच बताना शुरू कर दिया | लोग दांतों तले उंगलियां दबा रहे थे और कमलनाथ अपने परिवार व आसपास के सभी लोगों को अपने पुनर्जन्म के बारे में ऐसी बातें बता रहा था जो सच थी |
अंत में उसके कातिल भी पहचान कर ली गई | मुकदमा दायर हुआ और उन दोनों को सजा हुई | कमलनाथ के पुनर्जन्म के बच्चे प्रिया और प्रियांशु अब हाई स्कूल पास कर चुके थे | कमलनाथ ने उन्हें देखते ही सीने से लगा लिया | कमलनाथ तब से अपने इस जन्म व पुनर्जन्म के परिवारों से जुड़े रहे यह पुनर्जन्म की एक अद्भुत घटना है
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें